जहांगीर, शाहजहां और औरंगजेब की Religious Policies के बारे में ये जानते हैं आप?

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जहांगीर से लेकर शाहजहां और औरंगजेब तक मुगल सम्राटों की धार्मिक नीतियों में कहीं समानता तो कहीं बदलाव देखने को मिलते हैं। विशेषकर औरंगजेब की धार्मिक नीति इन सबसे बहुत अलग और विपरीत रही है। जहांगीर और शाहजहां ने सैद्धांतिक रूप से लगभग एक ही धार्मिक नीति का अनुसरण किया। औरंगजेब ने अकबर की ही नीतियों को उलटा और भारत में इस्लाम की सर्वोच्चता स्थापित करने की कोशिश की। औरंगजेब की धार्मिक नीति की विफलता ने उसकी मृत्यु के बाद मुगल साम्राज्य की विफलता और विघटन का मार्ग प्रशस्त कर दिया। यहां हम आपको जहांगीर, शाहजहां और औरंगजेब की Religious Policies के बारे में विस्तार से बता रहे हैं।

Jahangir की Religious Policies

  • Jahangir की Religious Policies की बात करें तो धार्मिक नीति को लेकर जहांगीर को उसके पिता अकबर और उसके बेटे शाहजहां के बीच रखा जाता है। ईश्वर पर जहांगीर का पूरा भरोसा था और सामान्य तरीके से उसने इस्लाम के सिद्धांतों का पालन किया। जहांगीर की धार्मिक नीतियों की एक और विशेषता यह रही कि ज्यादातर अकबर की धार्मिक नीतियों का ही उसने अनुसरण किया और धर्म के आधार पर किसी के बीच भेदभाव किए बिना सभी विषयों को समान सुविधाएं प्रदान की। हिंदुओं पर अतिरिक्त कराधान का बोझ उसने नहीं डाला और योग्यतानुसार राज्य में लोगों को सेवाएं प्राप्त हुईं।
  • हालांकि, कुछ उदाहरण ऐसे भी उदाहरण हैं, जो साबित करते हैं कि कई बार, जहांगीर ने इस्लाम का पक्ष लिया। जहांगीर ने कश्मीर राज्य में राजौरी के हिंदुओं को दंडित किया था। इसी तरह पुर्तगालियों के साथ युद्ध के दौरान उसने कांगड़ा के किले पर विजय प्राप्त करने के बाद अजमेर में वराह की मूर्ति को एक तालाब में फेंक दिया और चर्चों को बंद कर दिया। सिख गुरु अर्जुन देव को इसने मृत्युदंड दिया था। गुजरात से सभी जैनों के निष्कासन का भी जहांगीर ने आदेश दिया था। हालांकि, जहांगीर ने किसी भी संप्रदाय के खिलाफ धार्मिक उत्पीड़न की नीति नहीं अपनाई। शेख रहीम, काजी नुरुल्ला, शेख अहमद सरहिंदी जैसे मुस्लिम प्रचारकों को भी जहांगीर ने दंडित किया था।

Shahjahan की Religious Policies

  • अपने पिता जहांगीर की धार्मिक नीतियों की तुलना में Shahjahan की Religious Policies निश्चित रूप से इस्लाम की पक्षधर रही थी। अपने शासनकाल के शुरुआती वर्षों के दौरान उसने कट्टरता दिखाई। सिजदा प्रथा, जिसमें जमीन पर लेटकर सम्राट को सलाम किया जाता था, उसे इसने बंद किया। हिंदुओं पर इसने तीर्थ-कर लगाया। वैसे, बहुत बाद में उसने इसे हटा दिया था। अदालत में हिंदू त्योहारों को मनाने पर इसने रोक लगाई थी। बनारस, इलाहाबाद, गुजरात और कश्मीर में मंदिर इसके शासनकाल के दौरान तोड़े गये थे।
  • अपने पूरे शासनकाल में शाहजहां ने इस्लाम में धर्म परिवर्तन को प्रोत्साहित किया। हिंदू महिलाओं को मुसलमानों से शादी करने से पहले इस्लाम स्वीकार करने के लिए मजबूर किया गया था और जो लोग कुरान या पैगंबर मोहम्मद का अनादर करते थे, उन्हें मौत की सजा दी गई थी। शाहजहां ने अन्य धर्मों के लोगों के इस्लाम में धर्मांतरण के लिए एक अलग विभाग बनाया।
  • हालांकि, शाहजहां ने धार्मिक उत्पीड़न की नीति को आगे नहीं बढ़ाया। शाहजहां ने झरोखा दर्शन और तुला दान की हिंदू प्रथाओं को जारी रखा। हिंदू मंदिरों के विध्वंस को उसके शासन के बाद के दौर में रोक दिया गया और मुस्लिमों के हिंदू धर्म और सिख धर्म में रूपांतरण की अनदेखी की गई। शाहजहां ने हिंदू विद्वानों का सम्मान किया। कवींद्र आचार्य सरस्वती, सुंदर दास, चिंतामणि आदि को उसके दरबार में संरक्षण मिला। हिंदुओं को योग्यता के आधार पर राज्य सेवा दी जाती थी। इस तरह से शाहजहां ने अपने शासन के शुरुआती समय में जो भी कट्टरता प्रदर्शित की, उसे उसने बाद के दौर में छोड़ त्याग दिया।

Aurangzeb की Religious Policies

  • Aurangzeb की Religious Policies अकबर की धार्मिक नीति के बिल्कुल उलट रही। अन्य धर्मों के लोगों को सताने की उसने नीति अपनाई। उसका मानना था कि मुगल शासकों ने उससे पहले जो सबसे बड़ी गलती की थी, वह यह थी कि उन्होंने इस्लाम के वर्चस्व को स्थापित करने की कोशिश नहीं की। औरंगजेब को इस्लाम की प्रतिक्रियावादी ताकतों का समर्थन मिला, जबकि राजपूतों ने उसका विरोध किया और दारा शिकोह का पक्ष लिया। वैसे, इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि औरंगजेब की रूढ़िवादी धार्मिक नीति का प्राथमिक कारण उसकी अपनी धार्मिक कट्टरता थी।
  • औरंगजेब ने सिक्कों पर कलमा उत्कीर्ण करना, नौरुज का त्यौहार मनाना, झरोखा दर्शन और तुला दान की प्रथाएं बंद करवा दी और दरबार से ज्योतिषियों, संगीतकारों और नर्तकों को बाहर कर दिया। उसने भांग की खेती, शराब और जुआ पर प्रतिबंध लगा दिया।  सती प्रथा की जांच करने की कोशिश की। वेश्याओं को या तो अपना साम्राज्य छोड़ने या शादी करने का आदेश दिया और होली, दीवाली व बसंत आदि त्योहारों को भी कोर्ट में मनाना बंद कर दिया। शियाओं और सूफियों तक को औरंगजेब के शासन के दौरान दंडित किया गया था।
  • औरंगजेब ने हिंदुओं को उनके मंदिरों की मरम्मत करने से रोक दिया गया था। उसने हिंदुओं पर जजिया कर लगाया। सभी हिंदू राजाओं, ब्राह्मणों और यहां तक ​​कि गरीब हिंदुओं को भी इसका भुगतान करने के लिए कहा गया। अपने हिंदू सैनिकों और अधिकारियों को भी जजिया कर देने के लिए उसने कहा था।

निष्कर्ष

इतिहास गवाह है कि जहांगीर और शाहजहां ने अपनी धार्मिक नीतियों से जिस तरह से मुगल साम्राज्य को आगे बढ़ाने का काम किया, औरंगजेब की धार्मिक नीतियों ने सब बर्बाद कर दिया।

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