India’s Unique HIV Prevention Model: इसलिए है खास

2004
HIV prevention model of India


HIV Prevention Model of India का जिक्र हाल ही में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन द्वारा किया गया है। बीते 18 नवंबर को एचआईवी की रोकथाम के लिए डॉ हर्षवर्धन वैश्विक रोकथाम गठबंधन की एक मंत्रीस्तरीय बैठक को संबोधित कर रहे थे। इसी दौरान उन्हें भारत के एचआईवी रोकथाम मॉडल की कामयाबी के बारे में बात करते हुए सुना गया। इस लेख में हम आपको भारत के एचआईवी रोकथाम मॉडल के बारे में विस्तृत जानकारी उपलब्ध करा रहे हैं।

इस लेख में आपके लिए है:

  • What is HIV Prevention Model of India?
  • वैश्विक रोकथाम गठबंधन का सम्मेलन
  • UNAIDS को जानें
  • राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण कार्यक्रम पर एक नजर

What is HIV Prevention Model of India?

  • हम सभी इस बात से अवगत हैं कि एचआईवी को लेकर समाज में कई तरह की भ्रांतियां फैली हुई हैं। एचआईवी मरीजों को लेकर भी समाज के एक वर्ग का नजरिया थोड़ा नकारात्मक देखने को मिलता है। यही वजह है कि भारत का जो एचआईवी रोकथाम मॉडल है, उसे केंद्रित किया गया है सामाजिक अनुबंध की अवधारणा के इर्द-गिर्द।
  • इसमें कार्यान्वयन हो रहा है टारगेटेड इंटरवेंशंस प्रोग्राम का, जिसका मतलब होता है कि एचआईवी को लेकर एक लक्ष्य निर्धारित करके उसके जरिये दखल देकर एचआईवी की रोकथाम के लिए कार्यक्रम का संचालन किया जा रहा है।
  • इस मॉडल की खासियत यह है कि इसमें टेस्ट एंड ट्रीट पॉलिसी को अपनाया गया है। इसका मतलब यह होता है कि एचआईवी की जांच की जाती है और इसके बाद उसका इलाज शुरू किया जाता है।
  • वर्ष 2017 में एचआईवी एड्स रोकथाम और नियंत्रण अधिनियम को पारित कर दिया गया था। राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण कार्यक्रम जो भारत का चल रहा है, उसकी वजह से काफी हद तक एचआईवी के संक्रमण पर काबू पाने में भारत को बड़ी कामयाबी हाथ लगी है।
  • यही नहीं, इस मॉडल के तहत भारत के 23 राज्यों में किशोरावस्था शिक्षा कार्यक्रम को भी लागू करने का काम चल रहा है। इसमें इन सभी राज्यों के 49 हजार से भी अधिक स्कूलों को सम्मिलित किया गया है।
  • HIV Prevention Model of India के अंतर्गत SAMPARAK मिशन की भी शुरुआत की गई है, जिसमें कि ऐसे 50 हजार लोग, जो कि एचआईवी के साथ अपनी जिंदगी गुजार रहे हैं, उन्हें एंटीरेट्रोवायरल उपचार सेवाओं से जोड़ दिया गया है।

वैश्विक रोकथाम गठबंधन का सम्मेलन

यूएनएड्स (UNAIDS) और संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (UNFPA) द्वारा वैश्विक एचआईवी रोकथाम गठबंधन (CPC) की ओर से इस बैठक का आयोजन किया गया, जिसमें केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने भी संबोधित किया।

  • इस सम्मेलन का उद्देश्य यही है कि वर्ष 2030 तक एड्स को पूरी तरीके से समाप्त कर दिया जाए। ऐसे में वर्ष 2016 में UNGA प्रतिबद्धता के जो लक्ष्य निर्धारित किए गए थे, उस दृष्टिकोण से यह सम्मेलन बहुत ही महत्वपूर्ण बन जाता है।
  • वर्ष 2010 में जितने व्यस्क एचआईवी संक्रमण के शिकार थे, इस साल के अंत तक इसे 75 प्रतिशत तक कम कर दिया जाए, इसके लिए CPC के सदस्य देशों द्वारा सहमति जताई गई थी। एक ऐसा मॉडल CPC की ओर से दुनिया को उपलब्ध कराया गया है, जहां एक साथ सभी तरह के हितधारकों के आने की गुंजाइश है। ये सभी लोग मिलकर एक समान लक्ष्य को हासिल करने के लिए काम कर सकते हैं।
  • भारत के जो जेनेरिक एंटीरेट्रोवायरल ड्रग्स के प्रावधान हैं, उसका दुनियाभर में एचआईवी जैसी महामारी को नियंत्रित करने में बड़ा ही व्यापक असर देखा जा रहा है। भारत के एचआईवी रोकथाम मॉडल, जो कि पूरी तरीके से सामाजिक अनुबंध की अवधारणा पर काम कर रहा है, इसकी दुनियाभर में खूब सराहना हो रही है। इसके जरिए एचआईवी को नियंत्रित करने में बड़े पैमाने पर सफलता मिली है।
  • इसकी खासियत यह है कि गैर सरकारी संगठनों की मदद लेकर कई प्रकार के कार्यक्रमों के संचालन का लक्ष्य निर्धारित कर लिया गया है। दूरदराज के इलाकों तक एचआईवी की देखभाल के लिए पहुंच हो सके, यह इसका उद्देश्य है। इसके अलावा परामर्श उपलब्ध कराना, सेवा का सही तरीके से वितरण करना और जांच करना आदि भी इसके उद्देश्यों में शामिल हैं।

UNAIDS को जानें

  • समस्याओं के समाधान की दिशा में UNAIDS महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहा है। संयुक्त राष्ट्र आर्थिक एवं सामाजिक परिषद की ओर से इसकी स्थापना की गई थी। संयुक्त राष्ट्र का यह इकलौता संयुक्त रूप से चलाया जा रहा कार्यक्रम भी है।
  • वर्ष 2030 तक सतत विकास लक्ष्य निर्धारित किए गए हैं। एड्स को पूरी तरीके से समाप्त करना भी इसी का एक हिस्सा है। ऐसे में UNAIDS दुनिया भर में चल रहे इन प्रयासों की अगुवाई कर रहा है।
  • UNAIDS प्रोग्राम कोऑर्डिनेटिंग बोर्ड ने एड्स को सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए बहुत बड़ा खतरा बताया है। ऐसे में हाल ही में आयोजित हुई 37वीं बैठक में वर्ष 2030 तक इसे किस तरह से समाप्त किया जाए, इसके लिए एक नई रणनीति इसके द्वारा अपना ली गई है।
  • संयुक्त राष्ट्र में पहली UNAIDS की वर्ष 2016 से 2021 की रणनीति देखने के लिए मिली है, जो सतत विकास लक्ष्यों से जुड़ी हुई है। अगले 15 वर्षों के लिए दुनियाभर में विकास की नीति के लिए इसके द्वारा रूपरेखा तैयार की गई है। वर्ष 2030 तक इस महामारी का पूरी तरीके से उन्मूलन ही इसका उद्देश्य है।

राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण कार्यक्रम पर एक नजर

Success of HIV Prevention Model – of India ने दुनियाभर में भारत के राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण कार्यक्रम को पहचान दिलाई है। वर्ष 1992 में इसे भारत में एड्स के प्रसार को रोकने के लिए और इसे नियंत्रित करने के लिए लांच किया गया था।

  • चार चरणों में अब तक इस कार्यक्रम को लागू किया जा चुका है। राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन द्वारा इन कार्यक्रमों को देशभर में लागू किया जा रहा है।
  • वर्तमान में यानी कि 2017 से 2024 तक राष्ट्रीय रणनीतिक योजना लागू की गई है, जिसका एकमात्र लक्ष्य वर्ष 2030 तक एड्स को पूरी तरीके से मिटा देना है।

निष्कर्ष

HIV Prevention Model of India ने दुनिया भर में उम्मीद की एक किरण जगाई है और बाकी देश भी एड्स महामारी पर नियंत्रण के लिए इसका अनुसरण करने लगे हैं। वर्ष 2030 तक जो इसके उन्मूलन का लक्ष्य निर्धारित किया गया है, इसमें निश्चित तौर पर भारत के इस मॉडल की भी अहम भूमिका रहने वाली है।

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