IAS Vs IPS: यूं समझें दोनों के बीच का फर्क

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IAS vs IPS

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IAS vs IPS who is more powerful, यह एक सामान्य सा सवाल है, जो हमारे दिमाग में आ ही जाता है। इसलिए यहां हम आपको आईएएस और आईपीएस के बीच का अंतर विस्तार से बता रहे हैं।

सिविल सेवा परीक्षा को देश की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक माना जाता है। सिविल सेवा परीक्षा में उत्तीर्ण होने के लिए उम्मीदवारों को सब कुछ भूल कर तैयारी करनी पड़ती है। जो अभ्यर्थी पूरी तन्मयता और लगन के साथ इसकी तैयारी करते हैं, उन्हें आज नहीं तो कल कामयाबी का स्वाद जरूर मिलता है। सिविल सेवा परीक्षा में उत्तीर्ण होने के बाद अभ्यर्थियों को उनके रैंक के अनुसार आईएएस और आईपीएस जैसे पोस्ट मिलते हैं। वास्तव में आईएएस और आईपीएस के रूप में अभ्यर्थियों का चयन भले ही सिविल सेवा परीक्षा से ही होता है, लेकिन इन दोनों के बीच बहुत से अंतर भी होते हैं, जिनके बारे में यहां हम आपको क्रमबद्ध तरीके से बता रहे हैं।

कौन होते हैं आईएएस अधिकारी?

जब आप भारतीय प्रशासनिक सेवा यानी कि सिविल सेवा परीक्षा देते हैं, तो आईएएस बनने के लिए आपको अच्छे अंक की जरूरत पड़ती है। इस परीक्षा को उत्तीर्ण कर लेने के बाद आपको जो रैंक मिलती है, उसमें यदि आपका रैंक ऊंचा रहता है तो आपको आईएएस का पद मिल जाता है।

ऐसे अभ्यर्थियों को आरंभ में सब डिवीजन के स्तर पर सर्वोच्च अधिकारी बनने का अवसर मिलता है। इस पद पर काम करने के बाद उन्हें जिलाधिकारी के पद पर काम करने का मौका मिलता है। कई राज्यों में जिलाधिकारी के पद को कलेक्टर और उपायुक्त के नाम से भी जाना जाता है। आईएएस अधिकारी के पास किसी क्षेत्र, जिले या फिर विभाग के प्रशासन को संभालने की जिम्मेदारी होती है।

कौन होते हैं आईपीएस अधिकारी?

आईपीएस का मतलब होता है इंडियन पुलिस सर्विस यानी कि भारतीय पुलिस सेवा। सिविल सेवा परीक्षा के माध्यम से ही आईपीएस अधिकारियों का भी चयन होता है। जब आईएएस रैंक अभ्यर्थियों को प्रदान कर दिये जाते हैं, तो उसके बाद योग्य उम्मीदवारों को आईपीएस के रैंक मिलते हैं। सिविल सेवा परीक्षा में शुरुआती रैंक लाने वाले ऐसे अभ्यर्थी, जो आईएएस का पद न चाह कर आईपीएस का पद चाहते हैं, उन्हें भी आईपीएस बनने का अवसर मिल जाता है।

एक आईपीएस अधिकारी की जिम्मेवारी समाज में व्यवस्था बनाए रखने की होती है। वास्तव में भारतीय पुलिस सेवा का आईपीएस अधिकारियों को बेहद महत्वपूर्ण अंग माना जाता है। अपने आप में आईपीएस अधिकारी का पद बड़ा ही प्रतिष्ठित पद होता है और राज्य पुलिस के साथ सभी केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों के बीच भी यह महत्वपूर्ण स्थान रखता है।

कानून व्यवस्था को बनाए रखने की इन पर महत्वपूर्ण जिम्मेवारी होती है और एसपी से ये आईजी, डिप्टी आईजी और डीजीपी के रूप में पदोन्नत भी होते हैं। यह कहना गलत नहीं होगा कि देश में कानूनों को उचित तरीके से लागू करवाने की जिम्मेवारी आईपीएस अधिकारी ही उठाते हैं।

आईएएस और आईपीएस में अंतर (IAS vs IPS Differences)?

सही मायने में देखा जाए तो किसी भी जिले में आईएएस और आईपीएस अधिकारी के पद बड़े ही महत्वपूर्ण होते हैं। इन दोनों को यदि एक-दूसरे का पूरक और भारतीय समाज की प्रगति के लिए जरूरी बताया जाए, तो यह कहना बिल्कुल भी अतिशयोक्ति नहीं होगी। दोनों ही पद अपने आप में गरिमा से परिपूर्ण हैं। आप जहां आईएएस अधिकारी को सादे कपड़े में देखते हैं, वहीं आईपीएस अधिकारी वर्दी में नजर आते हैं। फिर भी दोनों ही देश के सच्चे सेवक होते हैं। UPSC में सफल उम्मीदवारों की अपनी रुचि और उनके रैंक के आधार पर उन्हें आईएएस और आईपीएस के पद मिलते हैं।

किसी भी जिले में एक से ज्यादा भी आईएएस और आईपीएस अधिकारियों की तैनाती होती है, मगर आईएएस के हिसाब से सबसे महत्वपूर्ण पद डीएम को माना जाता है, जबकि आईपीएस के हिसाब से सबसे महत्वपूर्ण पद एसएसपी को माना गया है। तो चलिए अब हम यह जानते हैं कि इन दोनों के बीच कौन-कौन से अंतर होते हैं।

IAS vs IPS चयन ( IAS vs IPS Selection)

  • जिन अभ्यर्थियों को UPSC की सिविल सेवा परीक्षा के दौरान मेंस की परीक्षा में कामयाबी मिल जाती है, उन्हें विस्तारपूर्वक एक आवेदन पत्र भरना पड़ता है, जो कि DAF यानी कि Detailed Application Form के नाम से जाना जाता है। इसी के आधार पर उनके व्यक्तित्व का परीक्षण होता है। फॉर्म में अभ्यर्थी जो जानकारी भरते हैं, इंटरव्यू में उसी के आधार पर उनसे सवाल किए जाते हैं।
  • इंटरव्यू में जो अंक मिलते हैं, उन्हें जोड़कर मेरिट लिस्ट तैयार होती है और ऑल इंडिया रैंकिंग इसी के आधार पर तय होती है।
  • अलग-अलग श्रेणियों यानी कि सामान्य, एससी, एसटी, ओबीसी और ईडब्ल्यूएस की रैंकिंग भी तैयार होती है और इसी रैंकिंग के आधार पर उम्मीदवारों को आईएएस, आईपीएस या फिर आईएफएस की रैंकिंग मिलती है।
  • जिन उम्मीदवारों को टॉप की रैंकिंग मिलती है, वे आईएएस बन जाते हैं। कई बार जो उम्मीदवार शीर्ष के रैंक पाते हैं, वे भी वरीयता में आईपीएस या आईआरएस दे देते हैं। ऐसे में जिन अभ्यर्थियों को निचली रैंक मिलती है, उन्हें भी आईएएस का पद मिलने की संभावना बढ़ जाती है।
  • इसके बाद के जो रैंक होते हैं, उन्हें आईपीएस और आईएफएस के पद मिलते हैं।

IAS vs IPS प्रक्षिक्षण (IAS vs IPS Training)

  • सिविल सेवा में जब अभ्यर्थियों का चयन हो जाता है, तो उसके बाद उन्हें मसूरी के लाल बहादुर शास्त्री नेशनल अकैडमी ऑफ एडमिनिस्ट्रेशन यानी कि LBSNAA में 3 महीने का फाउंडेशन कोर्स करना पड़ता है, जहां पर कि उन्हें आधारभूत प्रशासनिक कौशल सिखाए जाते हैं।
  • इसके अलावा एकेडमी में कुछ विशेष प्रकार की गतिविधियों में भी उन्हें शामिल किया जाता है, ताकि वे मानसिक और शारीरिक रूप से मजबूत बन सकें। हिमालय की कठिन ट्रैकिंग भी इसी का हिस्सा है।
  • इतना ही नहीं, सभी अधिकारियों के लिए ‘इंडिया डे’ का आयोजन होता है, जहां पर कि उन्हें अपने राज्यों की संस्कृति को प्रदर्शित करना होता है। इसे वे किसी लोकनृत्य, पहनावे या फिर खानपान के जरिए प्रदर्शित कर सकते हैं और विविधता में एकता को दर्शा सकते हैं।
  • इतना ही नहीं, गांव में इन्हें ट्रेनिंग लेनी पड़ती है। बहुत ही दूर स्थित किसी गांव में ये एक हफ्ता बिताते हैं, ताकि गांव की समस्याओं और वहां की जिंदगी से वे भली-भांति अवगत हो सकें।
  • जब इनकी तीन माह की ट्रेनिंग पूरी हो जाती है, तो इसके बाद हैदराबाद के सरदार वल्लभभाई पटेल राष्ट्रीय पुलिस अकादमी में आईपीएस अधिकारियों को पुलिस की ट्रेनिंग लेनी होती है। यहां का प्रशिक्षण उनके लिए कठिन होता है, क्योंकि इसमें उन्हें हथियार चलाने से लेकर घुड़सवारी और परेड तक की ट्रेनिंग लेनी पड़ती है।
  • आईएएस की ट्रेनिंग केवल मसूरी के लाल बहादुर शास्त्री नेशनल अकैडमी ऑफ एडमिनिस्ट्रेशन तक ही सीमित रह जाती है। इसके बाद वे पेशेवर प्रशिक्षण का हिस्सा बन जाते हैं। प्रशासन और सरकारी तंत्र से जुड़े सभी सेक्टर के बारे में उन्हें जानकारी प्रदान की जाती है।

IAS vs IPS तनख्वाह ( IAS vs IPS Salary)

  • IAS vs IPS Salary के बारे में जानने के लिए भी बहुत से लोग बड़े आतुर रहते हैं। तो आपको बता दें कि आईएएस अधिकारियों का मूल वेतन 56 हजार 100 रुपये तक सातवें वेतन आयोग के अनुसार हो सकता है। साथ ही उन्हें यात्रा और महंगाई भत्ता जैसे कई भत्ते मिलते हैं।
  • बताया जाता है कि आईएएस अधिकारी प्रति माह 1 लाख रुपये से भी ज्यादा कमाते हैं। कैबिनेट सचिव के पद पर पहुंचने वाले आईएएस अधिकारी को प्रतिमाह 2 लाख 50 हजार रुपये का वेतन प्राप्त होता है।
  • यदि कैबिनेट सचिव के तौर पर वे प्रतिनियुक्त हों, तो उन्हें सर्वाधिक वेतन हासिल होता है।
  • आईपीएस अधिकारी की बात करें तो इनका भी मूल वेतन 56 हजार 100 रुपये मासिक होता है। उन्हें भी यात्रा भत्ता, महंगाई भत्ता और एचआरए जैसे कई भत्ते हासिल होते हैं।
  • आईपीएस अधिकारी के लिए सर्वोच्च रैंक डीजीपी का होता है, जहां तक पहुंचने पर उन्हें 2 लाख 25 हजार रुपये का मासिक वेतन प्राप्त होता है। साथ में उन्हें आवास, ट्रांसपोर्ट, पीएफ ग्रेच्युटी, लाइफटाइम पेंशन, स्टडी लीव, घरेलू कर्मचारी और हेल्थ केयर सर्विसेज जैसी कई अन्य सुविधाएं प्राप्त होती हैं।

आईएएस और आईपीएस में ज्यादा शक्तिशाली कौन (IAS vs IPS who is more powerful)?

  • आईएएस और आईपीएस अधिकारियों की न केवल जिम्मेवारियां अलग होती हैं, बल्कि उनकी शक्तियां भी अलग-अलग होती हैं। कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग एवं कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय द्वारा आईएएस अधिकारी नियंत्रित होते हैं।
  • आईपीएस कैडर का नियंत्रण केंद्रीय गृह मंत्रालय के हाथों में होता है।
  • आईएएस अधिकारी को आईपीएस अधिकारियों की तुलना में अधिक वेतन मिलता है।
  • इसके अलावा एक क्षेत्र में ज्यादातर एक ही आईएएस अधिकारी मौजूद होते हैं, जबकि एक क्षेत्र में जरूरत के मुताबिक कई आईपीएस अधिकारियों की नियुक्ति होती है।
  • कुल मिलाकर देखा जाए तो पद, अधिकार और वेतन जैसे सभी मामलों में आईएएस अधिकारी एक आईपीएस अधिकारी से बेहतर स्थिति में होते हैं।

चलते-चलते

IAS vs IPS who is more powerful, इसे अब आप अच्छी तरीके से समझ चुके हैं। भले ही आईएएस और आईपीएस के बीच कितने भी अंतर क्यों न हों, लेकिन इस सच से इनकार नहीं किया जा सकता कि ये दोनों ही देश के सबसे प्रतिष्ठित पदों में से एक हैं और इनमें से किसी भी पद पर पहुंचना किसी के लिए भी बड़े ही गौरव की बात है। इसलिए यदि आप भी IAS या IPS बनकर समाज में प्रतिष्ठा हासिल करना चाहते हैं, तो आपको पूरे जी-जान से सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी करनी चाहिए।

दोस्तों, यह जानकारी यदि आपको काम की लगी हो, तो अपने साथियों के साथ भी इसे शेयर करना न भूलें, ताकि वे भी इससे लाभान्वित हो सकें। याद रखें कि ज्ञान के दीपक की गरिमा इसी में है कि वह अपने इर्द-गिर्द अंधेरे को मिटाता रहे। नहीं तो उसमें स्वार्थ और संकीर्णता की काई ही पनपेगी।

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