वार्षिक अंतर्राष्ट्रीय जी-20 सम्मेलन | Annual International G20 conference

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G-20 conference

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20 देशों के एक समूह को जी-20 नाम दिया गया है। हर वर्ष इस जी-20 सम्मेलन (G-20 Conference) में विभिन्न ज़रूरी मुद्दों पर चर्चाएँ होती हैं। इस बार इस सम्मेलन का क्या विषय रहा इसकी पूरी जानकारी आज आपको इस लेख में मिलेगी। तो आइये इसके बारे में आपको विस्तार से बताएं –

क्या है जी-20? | What is G-20?

सबसे पहले तो आपको यह जानना चाहिए कि आखिर जी-20 है क्या। विश्व की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं को एक मंच पर लाने के लिए जिस अंतर्राष्ट्रीय फॉरम का निर्माण किया गया है, उसे ही जी-20 कहते हैं। जो देश इस जी-20 के सदस्य हैं उनका घरेलू उत्पाद में 80 प्रतिशत से अधिक, विश्व व्यापार में 75 प्रतिशत और विश्व की कुल जनसंख्या में 60 प्रतिशत हिस्सा है। साल 1999 से हर वर्ष इस फोरम की एक बैठक होती और यहाँ तक कि साल 2008 के बाद से वार्षिक शिखर सम्मेलन को भी इसी में शामिल कर दिया गया है। इसमें सदस्य देशों का नेतृत्व करने वाले और प्रतिनिधि भी शिरकत करते हैं। इस बार 13वां वार्षिक अंतर्राष्ट्रीय जी-20 सम्मेलन का आयोजन हुआ है। आइये उसी के कुछ मुख्य बिन्दु आपको बताते हैं।

कब हुई जी-20 की स्थापना? | When was G-20 established?

जी-20 की स्थापना 25 सितंबर 1999 में में वॉशिंग्टन डी सी में एशिया के वित्तीय संकट के बाद की गई थी। अमेरिका के ही राष्ट्रपति ने इस सम्मेलन का आरंभ भी किया था। इस बैठक में सेंट्रल बैंक के गवर्नर और वित्त मंत्री भी आते हैं। अलग-अलग देशों में इसका आयोजन होने के कारण इसका कोई स्थायी मुख्यालय नहीं है। कई देशों को अपनी राय और सहमति देने के लिए भी अतिथि के रूप में भी बुलाया जाता है।

क्या रहे जी-20 सम्मेलन (G-20 conference) के मुख्य बिन्दु? 

इस बार जी-20 सम्मेलन का उद्घाटन कपड़ा मंत्री श्री पीयूष गोयल जी ने किया। महामारी का समय होने के कारण इस समय इसका उद्देश्य और ध्यान भी महामारी से उत्पन्न हुई समस्याओं पर रहा। इंडियन काउंसिल फॉर रिसर्च ऑन इंटरनेशनल इकनॉमिक रेलेशन्स का यह 13वां वार्षिक सत्र रहा जिसमें पीयूष गोयल जी ने कहा कि सभी को मिलकर कदम उठाने होंगे। अपनी सुरक्षा के लिए हमें एक दूसरे को भी सुरक्शित रखना होगा। टीके का लक्ष्य प्राप्त करने के लिए भी हमें वैश्विक आर्थिक सहयोग की आवश्यकता है क्योंकि महामारी से निपटना तो हम सभी की अवश्यकता भी है और अनिवार्यता भी। गरीब हो या अमीर सभी को टीका लगे ये सुनिश्चित करना एक वैश्विक ज़िम्मेदारी है। कोविड-19 का इलाज जल्द से जल्द खोजना एक ऐसा शोध का विषय है जिसे गंभीरता के साथ सोचना चाहिए और इसपर कार्य करना चाहिए। हमें अपनी हर प्रक्रिया पर पुनर्विचार, पुनर्कल्पना और पुनर्रचना भी करते रहना चाहिए।

क्यों बने भारत आत्मनिर्भर? | Why should India become self-reliant?

गोयल जी के अनुसार हमें भारत को आत्मनिर्भर अवश्य बनाना है किन्तु इसका अर्थ यह बिल्कुल भी नहीं है कि अपनी चार-दीवारी में कैद होकर दुनिया के लिए अपने दरवाज़े बंद कर लेंगे। बल्कि सही मायनों में बताएँ तो भारत ने अपने दरवाज़ों को खोला है पूरे विश्व के लिए। हम व्यापार के क्षेत्र में भी नेतृत्व करना चाहते हैं और विश्व के कई देशों में उदार बाज़ार प्राप्त कराना चाहता है। साथ ही भारत भी उदार बाज़ार उपलब्ध कराएगा ताकि दोनों तरफ से व्यापार बढ़ सके। हम एक भरोसेमंद साथी बनते हुए महामारी के बाद आर्थिक रूप से विश्व को मजबूती प्रदान करेंगे। समाज का हित चाहना ही भारत का उद्देश्य है।

जी-20 सम्मेलन में अब विकासशील देश करेंगे नेतृत्व | Developing countries will now lead the G-20 conference 

अगले आने वाले कुछ सालों में अब विकासशील देश इस संगठन का नेतृत्व किया करेंगे। आने वाले साल इंडोनेशिया तो उसके अगले साल ये मौका भारत को मिलेगा। जब भारत को यह अवसर प्राप्त होगा तो इसमें ज़्यादा से ज़्यादा समतवादी और समावेशी एजेंडे को आगे बढ़ाया जाएगा। जिन मुद्दों पर ध्यान दिया जाएगा उनमें शामिल होंगे यूनाइटेड नेशंस फ्रेमवर्क कन्वेन्शन, क्लाइमेट चेंज, वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गनाइज़ेशन आदि। हमें अपने विचारों को ज़्यादा से ज़्यादा लोगों तक पहुंचाना होगा और साथ सक्रियता एवं जागरूकता भी बढ़ानी होगी।

उम्मीद है यह जानकारी आपके काम की होगी फिर भी यदि कोई जिज्ञासा हो जिसे हम शांत नहीं कर पाये हैं तो बेझिझक कमेंट सेक्शन में पूछ सकते हैं। इसी तरह के लेखों को पढ़ने के लिए और जागरूक बनने के लिए जुड़े रहिए हमारे साथ।

धन्यवाद!

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