23 जनवरी को नेताजी सुभाष चंद्र बोस को याद करना इसलिए है जरूरी

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23 January


भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में जिन क्रांतिकारियों और महापुरुषों में सबसे महत्वपूर्ण योगदान दिया, उनमें नेताजी सुभाष चंद्र बोस का नाम प्रमुखता से लिया जाता है। सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी, 1897 को उड़ीसा के कटक में हुआ था। ‘तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा के नारे के लिए प्रसिद्ध सुभाष चंद्र बोस के पिता का नाम जानकीनाथ बोस और माता का नाम प्रभावती देवी था। सुभाष चंद्र बोस का परिवार में सर्वाधिक लगाव अपने भाई शरद चंद्र से था।

IAS बने, फिर त्यागपत्र भी दे दिया

बचपन में ही सुभाष चंद्र बोस ने स्वामी विवेकानंद के साहित्य का अध्ययन अच्छी तरह से कर लिया था। वर्ष 1915 में बीमार होने के बावजूद उन्होंने इंटरमीडिएट की परीक्षा द्वितीय श्रेणी में उत्तीर्ण की थी। उन्होंने 49वीं बंगाल रेजिमेंट की भर्ती के लिए भी परीक्षा दी थी, मगर आंखें खराब होने की वजह से उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया गया था। पिता की इच्छा थी कि सुभाष चंद्र बोस बड़े होकर आईएएस बनें। सुभाष चंद्र बोस इसके लिए 15 सितंबर, 1919 को इंग्लैंड चले गए। उन्होंने 1920 में आईएएस की परीक्षा में चौथा स्थान प्राप्त किया। हालांकि स्वामी विवेकानंद और महर्षि अरविंद घोष के आदर्शों पर चलने वाले सुभाष चंद्र बोस ने सोचा कि आईएएस बनकर वे अंग्रेजों की गुलामी तो नहीं कर पाएंगे। इसलिए उन्होंने भारत सचिव एस मांटेग्यू को 22 अप्रैल, 1921 को अपना त्यागपत्र सौंप दिया।

कांग्रेस से नाराजगी

देशबंधु चितरंजन दास से वे बहुत प्रेरित हुए। भारत लौटने के बाद सबसे पहले वे मुंबई गए। इसकी सलाह उन्हें रवींद्रनाथ ठाकुर ने दी थी। यहां महात्मा गांधी से उनकी मुलाकात हुई। उन दिनों गांधी जी ने असहयोग आंदोलन चला रखा था। अपने क्रांतिकारी स्वभाव के लिए जाने जानेवाले सुभाष चंद्र बोस बहुत जल्द एक महत्वपूर्ण युवा नेता के तौर पर उभरे। जवाहरलाल नेहरू के साथ उन्होंने कांग्रेस के अंदर ही युवाओं की इंडिपेंडेंस लीग शुरू कर दी। साइमन कमीशन को 1927 में उन्होंने काले झंडे भी दिखाए। गांधी जी का सहयोग सुभाष चंद्र बोस ने जरूर किया, मगर जब गांधी जी ने भगत सिंह को फांसी से नहीं बचाया तो इसके बाद सुभाष चंद्र बोस कांग्रेस के तरीकों से बहुत नाराज हो गए।

साबित नहीं हो सकी मौत

अपने जीवन में 11 बार वे जेल भी गए। फांसी की सजा पाए क्रांतिकारी गोपीनाथ के शव का सुभाष चंद्र बोस ने अंतिम संस्कार भी किया था। वर्ष 1930 में जब सुभाष चंद्र बोस कैद में थे, उसी दौरान चुनाव में उन्हें कोलकाता का महापौर चुन लिया गया था, जिसकी वजह से सरकार को उन्हें रिहा करना पड़ा था। सुभाष चंद्र बोस ने 1942 में बाड गस्टिन स्थान नामक जगह पर एमिली से विवाह किया, जिन्होंने वियना में एक बेटी को जन्म दिया। बेटे का नाम उन्होंने अनिता बोस रखा था। कहा जाता है कि 1945 में ताइवान में एक विमान दुर्घटना में सुभाष चंद्र बोस की मौत हो गई थी, मगर आज तक यह साबित नहीं हो पाया है।

आजाद हिंद फौज के प्रधान सेनापति

सुभाष चंद्र बोस को 1931 में कांग्रेस के हरिपुरा वार्षिक अधिवेशन में कांग्रेस का अध्यक्ष चुना गया था। हालांकि, इसके एक साल बाद ही 1939 में उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। सुभाष चंद्र बोस ने कांग्रेस के अंदर ही 3 मई, 1939 को फॉरवर्ड ब्लॉक की स्थापना की थी। बाद में नजरबंदी के दौरान किसी तरीके से बचकर वे जर्मनी पहुंच गए थे और वहां के नेता एडोल्फ हिटलर से मिले थे। वे आजाद हिंद फौज के प्रधान सेनापति भी बने। नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने भारत की आजादी के वक्त को और करीब ला दिया।

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