जानिये क्यों मनाया जाता है क्रिसमस

3170

भारत की सभ्यता में विविध प्रकार के धर्मों और त्योहारों का रंग भरा हुआ है। यहां त्यौहार किसी भी धर्म या जाती का हो, पूरे सम्मान और उल्लास के साथ मनाया जाता है। ऐसा ही एक त्योहार है क्रिसमस जो पूरी दुनिया में 25 दिसंबर के दिन मनाया जाता है।

क्रिसमस की कहानी :

क्रिसमस का त्योहार ईसामसीह के जन्म के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। बाइबल में मिले विवरण के अनुसार माता मरियम की शादी दाऊद के राजकुल से संबन्धित व्यक्ति युसुफ से हो गई थी। शादी के बाद इस युगल ने अपना जीवन यहूदिया प्रांत के बेलेथहम जगह से शुरू किया  था। शादी से पहले मरियम जिन्हें मैरी के नाम से भी जाना जाता है, गैब्रियल नाम के देवदूत ने सूचना दी थी की वो ईश्वर की माता बनेंगी। मैरी उस समय अविवाहित थीं, इसलिए इस कथन पर उन्होनें यकीन नहीं किया। विवाह के बाद जब वो गर्भवती हुईं तो उस समय के प्रचलित कानून के अनुसार उन्हें अपने बच्चे के नाम को पंजीकृत करवाना अनिवार्य था। इस कारण वो जब घर से निकले तो रास्ते में ही प्रसव पीड़ा होने के कारण उन्हें एक अस्तबल में शरण लेनी पड़ी। वहाँ माता मरियम ने एक नन्हें शिशु को जन्म दिया और कोई अन्य वस्तु पास में न होने के कारण उन्होनें पास में रखी नांद में उस शिशु को रख दिया।

दूसरी ओर पास की पहाड़ी पर अपनी भेड़ों के साथ सोते हुए गड़रियों को ईश्वर के जन्म लेने की खबर सबसे पहले मिली। इस खबर को एक आसमानी तारे ने चमक कर उन गड़रियों को यह सूचना दी। इस खबर से जहां दुनियाभर के गरीब प्रसन्न हो गए वहीं गरीबों पर अत्याचार करने वाला शासक राजा हेदोंदस क्रोधित हो गया। उसने राज्य के सभी दो वर्ष तक की आयु वाले बच्चों को मारने का आदेश दिया जिससे ईश्वर के रूप में जन्म लेने वाला बालक भी समाप्त हो जाये। लेकिन वो अपनी चाल में सफल नहीं हो सका और ईसा मसीह बड़े होने लगे।

क्रिसमस का त्योहार:

ईसाई धर्म का यह त्योहार सबसे पहले रोम में 355 ईस्वी में मनाया गया था। चौथी सदी से क्रिसमस के दिन सेंटा क्लोज़ द्वारा तोहफे बांटने का क्रम शुरू हुआ। इसी साल यहाँ के मुख्य पादरी या बिशप ने इस त्योहार को मनाने के लिए 25 दिसंबर की तारीख नियुक्त कर दी। 1840 से जर्मनी में इस त्योहार को क्रिसमस ट्री और तोहफों के साथ मनाने का चलन शुरू हो गया। इससे पहले 1820 से क्रिसमस को जर्मनी के कुलीन और मध्यमवर्गीय परिवारों ने मनाने का सिलसिला शुरू किया था। 1880 से क्रिसमस कार्ड को बांटने का चलन भी जर्मनी से ही शुरू किया गया।

इस दिन लोग अपने घरों को सजाकर क्रिसमस ट्री लगाते हैं। सभी लोग एक-दूसरे को उपहार और मिठाई बांटते हैं और सब मिलकर चर्च जाते हैं और प्रार्थना करते हैं। इस दिन चर्च में की जाने वाली विशेष पूजा को क्रिसमस सर्विस कहा जाता है।

यह दिन पूरे विश्व में शांति और प्रेम का संदेश लेकर आता है।

Leave a Reply !!

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.