ब्लैक होल क्या है?

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पृथ्वी पर जीवन के शुरुआत होने से लेकर आज तक अन्तरिक्ष में अनेक ऐसे रहस्य हैं जिन्हें आज तक वैज्ञानिक हल नहीं कर पाये हैं। ऐसा ही एक रहस्य है ब्लैक होल का रहस्य। 400 साल से इस रहस्य पर पर्दा उठाने में असंख्य शोध कर्मियों ने अनेक प्रयत्न किए , लेकिन आज तक कोई भी संतोष जनक उत्तर नहीं दे पाया है। आइये देखते हैं यह रहस्य क्या है|

ब्लैक होल :

अभी तक की विज्ञान की शोधों से यह पता चला है की वास्तव में ब्लैक होल एक ऐसी खगोलीय शक्ति है जिसका बल उसकी गुरुत्वाकर्षण में है। यह आकर्षण इतना तीव्र है की इससे चाहे वस्तु हो या प्रकाश , सब इसकी ओर खींच कर इसमें ही समा जातीं हैं। ऐसा प्रतीत होता है की यह शक्ति हर वस्तु को अवशोषित कर लेती है और जो कुछ इसमें गया वो वापस बाहर नहीं आ सकता है। इसमें प्रकाश भी अवशोषित हो जाता है और इस कारण किसी प्रकार का प्रतिबिंब भी उत्पन्न नहीं हो पाता है।

ब्लैक होल को किसने देखा है :

वैज्ञानिकों का मानना है की प्रत्यक्ष रूप से इसे देख पाना असंभव प्रतीत होता है। लेकिन इसके होने का अनुमान लगाया जा सकता है। इसके लिए आसमान में उन तारों को देखिये जो आसमान के खाली हिस्से का चक्कर लगते प्रतीत होते हैं । यही खाली स्थान ब्लैक होल प्रतीत होता है।

इनका आकार क्या है :

वैज्ञानिकों के अनुसार ब्लैक होल छोटे और बड़े आकार के हो सकते हैं, लेकिन अंतर इनके द्रव्यमान का होता है। ब्लैक होल का आकार चाहे एटम के आकार जितना हो या उससे बड़ा, उनका द्रव्यमान सूर्य के द्रव्यमान से 20 गुना अधिक होता है।

निर्माण प्रक्रिया :

वैज्ञानिक मानते हैं की ब्लैक होल का निर्माण ब्रह्मांड की शुरुआत के साथ ही होता है। कुछ ब्लैक होल ,जिन्हें स्टेलर ब्लैक होल कहा जाता है, का निर्माण तब होता है जब गैलक्सी का कोई तारा स्वयं अपने अंदर गिर जाता है । आकाशशास्त्री इस पूरी प्रक्रिया को ‘सुपरनोवा’ कहते हैं । इसके अतिरिक्त कुछ अन्य ब्लैक होल जिन्हें सुपरमैसिव ब्लैक होल का निर्माण ब्रह्मांड के निर्माण के साथ ही हुआ था।

ब्लैक होल का आभास होना :

ब्लैक होल का आभास देखने से नहीं होता है। क्यूंकी इसका अत्यधिक तीव्र गुरुत्वाकर्षण प्रकाश को इस होल के मध्य में तेजी से खींचता है और इसके चारों और फैली गैस और अन्य तारों को भी प्रभावित करता है। इसी कारण वैज्ञानिक इसे प्रत्यक्ष देख नहीं पाते हैं।

पृथ्वी पर प्रभाव :

कुछ लोगों का मानना है की एक दिन पृथ्वी भी ब्लैक होल में समा कर नष्ट हो जाएगी। यह धारणा बिलकुल गलत है। इसका कारण है की ब्लैक होल सूर्य के बिलकुल भी नजदीक नहीं है।

सूर्य पर प्रभाव :

यह सत्य है की सूर्य एक तारा है और गैलक्सी में विद्यमान सभी तारों का अंत ब्लैक होल में विलीन होकर होता है। लेकिन सूर्य के साथ यह बात सत्य नहीं है, क्यूंकी ब्लैक होल का द्रव्यमान सूर्य के द्रव्यमान से काफी अधिक है और सूरज के नष्ट होने के लिए इसे सूरज से कम होना जरूरी है। जो फिलहाल संभव प्रतीत नहीं होता है।

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